Tuesday, 22 December 2015

046---आज का हास परिहास-----अम्मा मारेगी जरूर--अम्मा (Hindi Poem---N-010/0718)


आज हम आपको आपकी भूली बिसरी यादों में ले जाते हैं जब हम विद्यार्थी थे अक्सर उस बात से बड़े परेशान रहते थे कि छोटी छोटी बात के लिए आज डांट पड़ेगी
आज का हास परिहास
(N-010/0718)

सारे नियम तोड़ दिए,

बातें अच्छी छोड़ दिए
कहना सबका भूल गए
प्यार करना सीख लिए,
काम धाम सब छोड़ केअपना
प्रेम में पागल बन कर रहना
यही है मेरा बड़ा कसूर
अम्मा मारेगी जरूर 
अम्मा मारेगी जरूर--अम्मा
-----1
बात बोलती ध्यान ना देता 
चुपके-चुपके हंसता रहता 
हो गया हाल बुरा इतना
पागल जैसे दिखते जितना
कहां गया वो मेरा गरुर
अम्मा मारेगी जरूर,
\ अम्मा मारेगी जरूर ------
--{2}
चाय सामने मेरे रखती 
चाय भी ठंडी हो जाती 
मुझको नसीहत दे के जाती
बातें उसकी खो जाती
लौट के आती गुस्सा होती 
जोर से इतना चिल्लाती
छठी का दूध याद दिलाती 
अबे कहां गया तेरा शहूर
अम्मा मारेगी जरूर,
अम्मा मारेगी जरूर-----अम्मा----
-----,I3I
अकल आएगी मुझको कब ,
शादी होगी मेरी जब
परी देश की आएगी 
शहूर मुझे सिखाएगी
प्यारी-प्यारी बातें उसकी ]
बहेंगी मधुर हवाएं जिसकी ]
सीख के उससे होंगे ; हम मशहूर
अबे अम्मा मारेगी जरूर,
अम्मा मारेगी जरूर---अम्मा----
-----,I4I
पहले साल में चंद्रमुखी
दूजे साल सूर्यमुखी
अक्सर ता ज्वालामुखी
अब तो लग ती फूंकी-2
अपनी सूरत ठूकी-2
मित्र पुकारे ; जोरु का गुलाम
अब तो हो गये हम मशहूर 
अबे अम्मा मारेगी जरूर,
अम्मा मारेगी जरूर--------अम्मा--,I4I
अर्चना राज

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