Monday, 21 December 2015

045-----आज का भजन (Hindi Poem-N-011/0719)

आज का  भजन
 (Hindi Poem-N-011/0719)
आज चला है पता मुझे,
 क्यों जगदीवाना  कृष्णा का ,
पागल रहता मस्ती में ,
प्रेम बॉटता कृष्णा का ,i1i
कोई तो उसके द्वार पड़ा ,
कोई खड़ा है लम्बी कतार,
 भूल गये सब सुधबुध अपनी,
 जीवन में आई ऐसी बहार,
हुजुम जुटा है दर्शन पाने ,
दरबार सजा हैं कृष्णा का ,
आज चला है पता मुझे,
 क्यों जगदीवाना  कृष्णा का I2I

कृष्णा कृष्णा जपते – जपते,
भूल गये सब दुनियादारी ,
खुशी के ऐसे आलम में ,
मिले कृपा की भागीदारी ,
प्रेम बाटते कान्हा जपते,
संदेश यही है कृष्णा का ,
आज चला है पता मुझे,
 क्यों जगदीवाना  कृष्णा का I3I
जहाँ लहू बहाते लोग ,
नफरत जहाँ फैलाते लोग,
प्रेम बाटते मधु सूदन ,
प्रेम से आओं ,
गले लगाओ ,
प्रेम नाम है मनमोहन ,
इंशान का नाता प्रेम भरा हो,
प्रेम मिलाता कृष्णा का ,
आज चला है पता मुझे,
 क्यों जग दीवाना  कृष्णा का I4I


जय हो सबका भला हो विशेष कृपा हम हमारे मित्रों पे रखना
अर्चना राज

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