आज का भजन
(Hindi Poem-N-011/0719)
आज चला है पता मुझे,
क्यों जगदीवाना कृष्णा का ,
पागल रहता मस्ती में ,
प्रेम बॉटता कृष्णा का ,i1i
कोई तो उसके द्वार पड़ा ,
कोई खड़ा है लम्बी कतार,
भूल गये सब सुधबुध अपनी,
जीवन में आई ऐसी बहार,
ह हुजुम जुटा है दर्शन पाने ,
दरबार सजा हैं कृष्णा का ,
आज चला है पता मुझे,
क्यों जगदीवाना कृष्णा का I2I
कृष्णा कृष्णा जपते – जपते,
भूल गये सब दुनियादारी ,
खुशी के ऐसे आलम में ,
मिले कृपा की भागीदारी ,
प्रेम बाटते कान्हा जपते,
संदेश यही है कृष्णा का ,
आज चला है पता मुझे,
क्यों जगदीवाना कृष्णा का I3I
जहाँ लहू बहाते लोग ,
नफरत जहाँ फैलाते लोग,
प्रेम बाटते मधु सूदन ,
प्रेम से आओं ,
गले लगाओ ,
प्रेम नाम है मनमोहन ,
इंशान का नाता प्रेम भरा हो,
प्रेम मिलाता कृष्णा का ,
आज चला है पता मुझे,
क्यों जग दीवाना कृष्णा का I4I
जय हो सबका भला हो विशेष कृपा हम व हमारे मित्रों पे रखना
अर्चना व राज
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