बेटी,! बेटी, ओ! मेरी लाड़ो बेटी
!
(Hindi Poem-M-000/00675)
तू मेरे सपनों की धरोहर ,
तुझ से सारा जहाँ मनोहर,
तू ही आसरा,
तू ही सहारा,
तू ही लाड़ली,
तू ही प्यारी,
दुनिया में तू सब से सुन्दर,
मुझ को लाड़ो तू लग ती
बेटी,! बेटी,
ओ! मेरी लाड़ो बेटी !
तेरी मुस्का हट में ,
तेरी चंचलता में ,
तेरी प्यारी बातों में ,
नादानी छिपी है रहती
दुनिया में तू सब से सुन्दर,
मुझ को लाड़ो तू लग ती
बेटी,! बेटी,
ओ! मेरी लाड़ो बेटी !
आती जाती,
कहती रहती,
मेरे कष्टों
को ना !,
तू कभी ना
सहती
दुनिया में तू सब से सुन्दर,
मुझ को लाड़ो तू लग ती
बेटी,! बेटी,
ओ! मेरी लाड़ो बेटी !
तू भावुक तू कोमल ,
तू नाजुक तू चंचल ,
तेरे रहने से,
घर में रहती
हलचल
मेरे बचपन को भी ,
तू हर पल याद कराती
दुनिया में तू सब से सुन्दर,
मुझ को लाड़ो तू लग ती
बेटी,! बेटी,
ओ! मेरी लाड़ो बेटी !
बीमार में जब भी होता ,
दिल से दुखी में रहता ,
शरीर साथ ना देता ,
तू आती
बार-2 तू कहती ,
मुझ को सलाहें देती रहती,
दुनिया में तू सब से सुन्दर,
मुझ को लाड़ो तू लग ती
बेटी,! बेटी,
ओ! मेरी लाड़ो बेटी !
तेरे सपनों का
महल,
मुझे बनाना
है
तेरी चाहत का ,
रंग ,
मुझ को भरना है
अब ना कुछ भी,
चाहे दिल
!,
यही अधूरा काम
मुझ को करना है
चिन्ता इसी की मुझ को ,
लगी है रहती
दुनिया में तू सब से सुन्दर,
मुझ को लाड़ो तू लग ती
बेटी,! बेटी,
ओ! मेरी लाड़ो बेटी !
( अर्चना & राज)
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