मेला सबसे बड़ा लगा था ,
महका दिया चमन शहर का,
रंगबिरगे फूलों का आना,
झूम उठे पल; हर पहर का I1I
ठहर -2 सा शहर गया था,
खो गया इतना खेल -2 में,
प्रेम शान्ति का महान सन्देश
,
शहर पा गया खेल -2 में I2I
किसी ने जम के ताकत झौकी ,
किसी ने धावक बन दौड़ा ,
किसी ने ऊंची कूदी दीवार ,
किसी ने उपलब्धि से जोड़ा I3I
रिकार्ड बनाये ,रिकार्ड तोड़े,
जोश में होश नहीं खोया,
बनारस की धाक के आगे ,
जगा शहर जो था सोया I4I
सुबह सांय हमने देखा ,
महनत सबका साथी बनी ,
सोते ,जगते ,चलते-2,
मिले सफलता बात ठनी I5I
सोने का वक्त ना था ,
अद्भूत अलग नजारा ,
सहयोग मिला इतना ज्यादा,
इकदूजे का बने सहारा I6I
धन्यवाद के पात्र हैं वे,सब
,
दिन रात लगे कल को बनाने ,
संरक्षण उत्तम सर्वोत्तम,
सूरज चमका फिजा बताने I7I
संचालन आयोजन गठबन्धन ,
सहयोग समर्पण अर्पण ,
एमएसआई दीप जला ,
राह दिखाया इनका दर्पण I8I
आज के दौर में भी,
सितारे चमकते हैं ,
राह दिखाते, सफल बनाते ,
ताज भी इनसे सजते हैं I9I
धन्यवाद के पात्र हैं वे सब
,
नमन है उनको हर पल ,
अपना सबकुछ दाब लगाते ,
आज सौंपते ,बनते कल I10I
( अर्चना & राज)
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