Saturday, 7 November 2015

031----लौट +आ+ना का मतलब ? Hindi Poem/K-044/00596)

लौट +आ+ना का मतलब ?
Hindi Poem/K-044/00596)

करके लड़ाई घर से हम,
निकले घर से बाहर,
गुस्से में बोल दिया ,
मौज करेंगें घर से बाहरI1I


“लौट +आ+ना “ठीक नहीं ,
मुझको अच्छा नहीं लगता,
“लौट +आ+ना” की लगी होड़,
दिल भी तसल्ली नहीं रखता I2I

पुरुस्कार कोई दिया नहीं,
क्रेडिट कभी मिलानहीं,
हैलो हाय भी सीखी ना,
टिकने को कोई जगह नहींI3I

हमें अचानक याद आया ,
सब को हमने वोट दिया,
“लौट +आ+ना “ की इसी लहर में,
हमने भी संकल्प लिया,I3I

खुल के बोलेगें हम ये ,
एहसान हमारा कायम है,
चलो इसी को “लौट +आ+ना “,
छिपा इसी में दमखम हैI4I

उहापोह में बैठ थे,
पीछे से आवाज आई,
सायं हो गई“लौट +आ+ना “,
किसने तोड़ी तन्हाईI5I

बड़े प्रेम से बीबी बोली,
रात होने वाली है .
“लौट +आ+ना “,मतलब समझ में अब,
इसीलिए तो घरवाली है I6I

बै मतलब की करें लड़ाई ,
मत तब घर को आना,
साहित्य पुरोधा कैसे बन गये,
शब्द का अर्थ भी ना जानाI7I

कुछ मीठी मीठी बातों से,
दिल को पहले मोहते थे ,
पुरुस्कार मिल जाता था,
तब ये बड़े चहते थे I8I

जनता मांगे विकास अब ,
लहर विकास की चारो ओर,
देश राज्य भी पकड़े तेजी ,
अब ना मिलेगा इन को ठौरI9I
( अर्चना & राज)

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