Monday, 11 May 2015

00016------(हर दिन अपने घर में डोर रिश्तों की मजबूत करे) Hindi Poem/E008/00259)

अपना देश बड़ा निराला,
हर दिन हर त्यौहार, I
अम्मा बापू साथ में रहवे,
प्यार में होते सब बीमार  II
जब तक चप्पल पड़े चांद पे,
घर में भागे-2 फिरते  I
पीछे अम्मा दौड़ लगा ती,
दांत दिखाते बापू हंसते  II
घरवाली की चरण- पादुका,
पड़ते पावन घर होता  I
अम्मा अपना अनुभव देती,
बढ़ता बीबी का पारा होता II
फुटबाल जैसे हम बनते,
बीबी आती चुप हो जाते  I
मर्यादित दखलंदाजी उसकी,
अम्मा से हम आंख बचाते, II
देखी अम्मा रुठी बैठी,
चरन पकड़ उनको मनाते  I
दिल है उनका बड्डा-2,
शान्ति से सब काम बनाते  II
दिन निकला और चिडिया बोली,
सुबह सबेरे चेहरे खिलते I
गट-2 मठ्ठा पीते जाते,
हंसते-2 बाते करते  II
भाभी भईया भोलू भतीजे,
अम्मा बापू सबकुछ मिलता I
यही प्यार था अपने घर का,
चुटकी में जीवन कट जाता II
नई परम्परा लेके आये,
इक दिन केवल पायी अम्मा  I
दो बंद गिरा के आंसू के,
बीवी करती चुम्मा-2  II
संस्कृति जीवित, भारत जीवित,
नये पंगो से न घर भरे I
हर दिन अपने घर में ,
डोर रिश्तों की मजबूत करे II
 (अर्चना राज )

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