भूकम्प आया, नेपाल टूटा ,
ओह ! कोई समझे इससे पहले,देखा गिरते महल -दुमहले ,एक पल का झोँका आया ,दुख की पोटली साथ मेँ लाया ,भूकम्प आया, नेपाल टूटा ,देख विनाश पसीना छूटा,बुनियादओ को हिला गया ,मिट्टी में ये मिला गया ,गम के आंसू छोड गयामन के सपने तोड गयासपने बिखरे , दिल टूटेअपने अपनो से छूटेबच्चे देखे रोते बिलखतेजो हरदम रहते हंसते- हंसतेतकदीर दुवारा लिखनी हैमहनत साथ में करनी हैसमय का पहिया घुमा गयाहम सब को भी रुला गया --गयाघाव दर्द है बेहद भारीलहू -लोहान है जनता सारीतेरे दर्द को समझें हम,दूर करेगें मिल के तमभारत ,भारत की जनताखडी साथ मेँ है सरकारबहते आंसू मिल के पौंछेइससे बडा न कोई उपकार(अर्चना राज ) |
Oops! No !Some one might have Got before,
|
जीवन का अनुभव
जो लिखा है, भाग्य
में ,
जीवन चलता अपनी राह,
नहीँ बदलती
पगडंडी ,
नहीँ बदलती राह ,
लाख कोशिशेँ करते है,,
मिट जाती
है,अपनी
चाह,----------(1)
ढोया हम
ने जीवन भर ,
स्वयम सामने पाया सागर ,
रह तैरते, हाथ फेंकते
,
चलते -चलते ,गिरते ,उठते
हर कोशिश मेँ थकते जाते ,
साल बीत ते, जाते माह -----------(2)
कोई प्यार की राह पकडता ,
पूजा पाठ मेँ डूबा रहता ,
लाख कोशिश करने पर,
मिल जाते
जब अपने घर,
बड़े प्रेम
से इंहेँ सजाते ,
मन ही मन हम हर्षाते,
हवा के
झोंका ऐसा
आता ,
जाता, देता
उस को
ढाह -------(3)
किससे अपना दुख बांटें,
कच्चे धागे,
कच्चे नाते ,
बोझ तले
दब जाते है,
मन के
टुकडे हो जाते है,I
बोझिल मन
और घायल दिल
केसे देखे , इनको खिल
दुःखी आदमी, टूटा मन
क्या पिया ,क्या खाय---------(4)
(अर्चना
व राज)
|
जेटली जी की थाली
Hindi Poem on the Tex on Food by The Finance Minister of India
(Hindi Poem-000135)
घर पर
खाना बन्द,
मैम साब बीमार है,I
बाहर खाना बना है फैशन,
हॉटल सेवा को तैयार II (1)
पाकेट जिनकी भारी है,
व्यय करते अनापशनाप,I
बिल भरते ख़ुशी- ख़ुशी
नही लेते
कोई संताप II(2)
सबकी पसन्द है
पहली,
थाली लाती आर्डर बार - बार,I
किसी
की नौ
सौ इकसठ की है,
कोई चुकाता
सात हजार II(3)
बढ़ाये जेटली दो
रुपया,
हाय -तोबा करते बार - बार,I
नहीं पूछता, चिल्लाता टी०वी०,
मचा
रखी काहे
की रार II(4)
बीस रुपये की
अपनी थाली
,
जहाँ चाहो खड़े
हो जाओ
I
चार्- चार् पूरी, सब्जी
,अचार
सलाद भी मुफ्त में पाओ II(5)
झर्राटेदार
सब्जी आती,
होती
ठण्डी इससे
पहले I
उंगली
डुबाओ चाटते
जाओ,
मौज में दायें बायें
टहले II(6)
दो . पैसे नहीं लगाये,
सबकुछ चलता टैक्स - फ्री,
I
वित्त मन्त्री जी
समझदार हैं
जनता उनकी भाग्यश्री II(7)
ना विल आने का
झंझट,
जेब
ना करती
कोई गरूर I
जियो जेटली सौ
साल,
टैक्स से रखना
इस थाली को दूर II(8)
(अर्चना
व राज)
|
Mamsaab is sick, So no food to be prepared at home, Why are these hotels/Motels/Restaura,They are for our service ;specially when Mamsaab is out of mood.Those with heavy pocket are in the habit of spending too much ,why not so, they are born with silver spoon in their mouth, They do not mind filling the big bills or making the huge payment.Thali system ( a plate with special different dishes prepared) is favorite to all ,whosoever visits the hotels, Thali brings a no of order to be served.A few makes a payment for Rs.961-00 ,whereas the political parties pays Rs.7000=00 only.A little increase in the tex ,hardly 2% on food made media frenzy ,and It became the national news.A hotly debated subject for the “haves” here.But real Bharat takes us to lanes and roads at popular places, where small shopkeepers own their business of food, They prepare food and lovingly serve the food to the public. For Rs.20=00 only, wherever the people may stand and enjoy the Indian dishes.4roti/chapatti and a cup of vegetables with salad for no paisa make the people frenzy.Very hungry people could be seen standing for their wait to come. The moment they get their food, their restlessness sometimes force them to pour their fingers in the hot vegetables .The sudden burn makes them dancing with their finger going into their mouth with a view to get the immediate relief from burn. They jump like a little lamb making us smile secretly. Long live such Finance Minister who cares for the poor public. No need to file any bill, Nothing heavy on the pocket ,easily paid, Nobody has pride on it .tax free and tension free goes everything. The same thing prepared ,if served better ,then the prices go high we enjoy such people screaming. Such a intelligent Finance Minister live long and God bless him all the time.(Raj)Our Finance Minister is poor friendly,he did not impose a single pie as tex ,but everything is tex free |
जब मैं बुढढा हो जाऊंगा,( When
I will be old,)
जब मैं बुढढा हो जाऊंगा,
शरीर नहीं देगा मेरा साथ I
चलना फिरना मुश्किल होगा,
काम नहीं करेगें मेरे हाथ II (1)
दांत कूद बाहर आयेगें ,
आवाज करेगी ,जैसे बजता भोंप्रू,
“क्या बकते हो बुढऊ दिनभर,”
किसको दूंगा काम मैं सौपूं II(2)
सब इतरायगें , दूरी बढायेंगें,
महसूस करूंगा"मैं हूं अकेला",
जवान चलेगें समय जवानी,
समझ से बाहर क्यों"मैं अकेला"II(3)
दादा नाना की कहानी,
अब छीन लिया
टी०वी०,
बच्चे देखेगें कार्दून,
दूर रहेगी
मेरी बीबीII(4)
उपदेश मिलेगें फ्री में मुझको,
मेरा अनुभव गया गर्त में,
हांरूगा मैं बच्चोंबीच ,
सबकुछ गवां के उनकी शर्त में II(5)
फिल्मी गाने दूर रहेगे..
घर बनेगा बहू बेटी का
''कुछ भी बोलो, सोचो पहले",
लगेगें' अचार बना टेंटी का', II(6)
फिल्म देखना भी मुश्किल,
गाना गाना करेगा बदनाम
बुढऊ गये सठियाय,
तरह तरह के मिलेगें नाम II(7)
प्रेम फलांगें मारेगा,
दिल्रबुढढा बन जायेगा,
जो भी सोचूं कह नहीं सकता
दिल मेरा घबरायेगा, II(8)
खासी बनेगी शरीर की साथी,
बुखार करेगा मुझे कमजोर,
दवा का अम्बार घर होगा,
नब्ज चलेगी पड़ेगा जोर II(9)
Cough will be my partner,
Fever shall weaken me,
Drug stack shall be my home,
Pulse shall feel threatened II
पैसा जेब में न हीं रक्खा तो,
बच्चे बाहर कर देगें ,
कुछ कहेगें मथुरा जाओ ,
कुछ दारिका, हरिदार भेजेगें II(10)
सब से कठिन परीक्षा जीवन की,
उपदेश सभी ने यही कहे ,
यही सोच घबरा जाता हूँ ,
बुढ़ापा जीवन से दूर रहे II(11)
भारत की महिला बीबी है,
सदा चले आदर्शो पर,
महामूर्ख वे बन्दे है,
कोहराम मचाते अपने घर II(12)
सबसे अच्छा यही रास्ता,
कब्जा मकान पर अभी जमाना,
कहें गुलाम बीबी का,
अब जीवन उसके साथ निभाना II(13)
कहें 'गर्व से स्वयं ही हम ,
हां! बीबी
के हम हैं गुलाम,
कटेगा बुढापा शान्ति से,
शान्ति से होगी जीवन की शामII(14)
(अर्चना
व राज)
|
When I will be old,
My body will not support me,
Difficult will be
mobility,
Hands won’t work properly II
Teeth will jump out,
Voice will ring as siren,
What blabber all the day,You,old man”
Nobody will agree to work for meII
All lug or lord over,Maintain distance,
I ‘ll realize,I am alone,
Youth will enjoy their youth,
Beyond understanding,Why I am alone ? II
Grandfather’s story
stripped by TV,
Children shall enjoy cartoon,
Wife shall maintain distance II
Free advice will come to me,
My experience shall go in faveolus or pit,
Everything shall be lost on the children’s condition,
Losing everything II
Film songs shall be difficult to be sung,
Home will reflect presence of daughter &
daughter-in-law,
Nothing to say,first think,
I will be like Tenti (found in Rajasthan)pickle.II
Age won’t allow to watch movie,
Singing songs shall invite fury,
This old man has become crank,
Different epithets shall adore me II
Love shall spurt or prance out of old heart,
Whatever think is difficult to be produced ,
My heart will be baffled,II
No penny in pocket,
Children shall kick out,
Some will suggest to visit to Mathura,
Or some will suggest
to go to Dwarika or Haridwar(religious places)
Old age is ordeal of life,
Old age never comes,O! God,
This baffles me,
Everbody talks of it II
Indian Bibi follows
ideals as cherished
From age-old culture,
Fool of the fools are they
Who create problems and fight at home
in the name of modernityII
The best way is to control over the home and property,
People will call’a slave to wife’,
But old age compels me now onward
To take her care II
Feel pride in self,
Yes We ! are the slave to Bibi,
Peaceful will be dotage or old age,
An end to life too will be peaceful II
(Raj)
|
कृष्ण
की शरण
में आओ ,
यहाँ सब कुछ
मिथ्या है II!
(Come to the Shelter of Krishna,
Everything is False
Here,)
जब तुमको करीब पाया,
कहीं हमने धोखा खाया,
शिकवा नहीं है काटों से ,
जख्म तो हमने फूलो से पाया II(1)
चमक चॉद की रातों में,
मदहोशी लाती, प्रेम बढ़ाती,
प्रेम की सौगात मिलती उनको,
शीतलता हमको घायल करती II(2)
कालीन बिछा है घर में,
सब कुछ मलमल जैसा लगता,
वे तो चलते पांव थिरकते ,
मलमल हम को घायल करता II(3)
“सैन्ट” छिड़कते आगे चलते,
ख़ुशी में वे ना पीछे मुडते,
“सैन्ट” से जीतें दिल् वे सबका,
“सैन्ट” हम को घायल
करते II(4)
मिठास से ज्यादा मीठी,
चलती मीठी जबान है उनकी,
हम तो
इससे घायल होते,
किससे कहें बात हम मन की II(5)
सब कुछ हमको फीका लगता,
तेरे प्रेम के आगे कुछ ना टिकता,
शरण में ले लो कृष्णा हम को,
दुनिया में अब प्रेम भी बिकताII(6)
(अर्चना
व राज)
|
(When we found You near, we were cheated
We don’t have complaint from thorns,
we are wounded from the
flowers .
The Moonlight takes us to
trance ,
enhances love,
It is a gift of love to
others,
But this moonlight wounds me.
The carpet is spread in the
home
It is there with the beauty of
muslin.
When they /she walks ;appear
dancing,
But that muslin wounds me.
Some sprinkle scent and go ahead,
Happiness doesn’t make them
turn back,
Gladly they win the heart with
the scent,
But scent wounds me I
Sweeter than sweet is the
tongue,
When they talk,
It wounds me,
Whom to share with what we
mind.
Everything seems to me fading,
Your Love is Supreme,
Love in the world is instable,
Please take us in your shelter
only.
(Translation by Raj)
|
विश्वकप
विश्वकप क्रिकेट में जीतता भारत खुश, मिलती हार करे निराश खेल हमारा बड़ा है प्यारा, सभी जीत की रखते आस, चौके, छक्के, जब पडते हैं, दिल तो बैठ जाता है अपना हार कबूल नहीं है हम को, इससे बुरा न कोई सपना पर खेल खेल होता है , देश को इसने बाँध लिया है एकता की बड़ी मिशाल बना, दिल तो इसने जीत लिया है, दुआ करें सदा जीतें हम, हार से ना हो अपना सामना जीत जीत के लिए हो मैदान, झंच झंच चाहे पड़े नापना हार कभी हो जाती है , घबराने की कौन सी बात जंगल में होता शेर निराश, खाली जाती जब उसकी घात विश्व कप जीत गये उस दिन, पाकिस्तान को दी थी मात, वो भी खुश मस्ती काटी, फाइनल हारे भारत के हाथ चैन की नींद सोयेगा पड़ोसी, कहेगा अपना दूसरा जनम, गायेगा ,हम तो हारे सो हारे , ले डूवे तुमको भी सनम दुआ करें हम फिर से , महनत रंग लायेगी, चूक हुई इसं बार -what? आगे दुनिया परचम लहरायेगी (अर्चना व राज) |
Kiran Shekhawat
जो उम्र है खेलने खाने की,जिस उम में सपना बुनते हैंजीवन में आगे बढ़ने की,हम महारत हासिल करते हैएक कदम आगे बढ़कर ,तूने तो अपनी कुर्बानी दी हैभारत की बेटी किरन ने,देश को अपनी जवानी दी हैइस कुर्बानी पर नतमस्तक,हम सब भारत वासी हैभारत की पहली महिला शहीद,तुझको देता देश शाबासी हैहै नमन तुझे इस कुर्बानी पर,सदा ऋणीं रहेगें हम तेरेपूर्र्ण करेगें उन सपनों को,बने धरोहर अब तेरेगर्व है तुझ पर भारत की बेटी,भारत का मस्तक ऊंचा कियायाद करेगें इस कुर्बानी को,सिर हिमालय का तूने झुका दिया,यह बेटी बनी प्रेरणास्रोत सभी की, तूने धन्य किया उस माटी को,सदा गर्व करेंगीं पीढ़ी उस पर,पावन पवित्र उस माटी को,बलिदान तेरा खाली नहीं जायेगा, इतिहास, को तूने मोड दिया,भारत की बेटी भी सबसे आगे हैएक नया अध्याय तूने जोड़ दिया(अर्चना व राज) |
Kiran Shekhawat is the first woman Martyr of India
The age when it is expected of playings,enjoying s,and
weaving the dreams through the skill development for life ,Forgetting all
these things,a step further Kiran Shekhawat came and not only joined the
Armed Forces but laid down her life itself.This sacrifice bows us down with a
deep sense of pride,The country shall always remain indebted to her
sacrifice,Now this is our turn ,the dreams of her remain unfulfilled need to
be completed as a token to remembrance ,for they are now the treasure
to the nation.Calling her the Daughter of Nation itself brings honour to the words.This sacrifice has bowed down everything,
even making the land pious where she was born,The Generations shall remember
her and shall inspire the others ,specially the women who are not only
respected in India ,but play a leading role in the nation-building of which
she is the embodiment.This sacrifice of Kiran Shekhawat has added one more
chapter in the History of India which shall sing of her self for the years to
come.-----!JaiHind .
|
चाय- चाय
(Hindi Poem/00058)
जब भी पीते चाय-2,बीवी करती हाय-2चाय पे छुरियां ऐसी चली,लगता विपदा आन पड़ीजहाँ भी जाओ चाय,जहाँ भी खाओ चायजहां भी जाते मिलने हम,सेवा करते मिलती चायपी पी कर हम चाय-2,बीमार पड़ गये हम तो हाय,कहता कोई थामती कैंसर,ठंड भगाती चाय-2,पाचन की शक्ति को घटाती,दूध के सदा दाम बढ़ातीपीते जाते नशा बढ़ाती,दूध से ये मोह भंग करातीचलते फिरते दिन भर हम ,जब भी खाली होते हममिलती केवल चाय,-2,बीवी करती हाय-2अब तो पिण्ड छुडाना होगाजीवन अपना बचाना होगाब्लडप्रेशर या डायबिटीज,चाय को बाय-2 कहना होगालेते हैं संकल्प अभी,पियेगें चायकभी नहींसेवा मिलती फ्री में हम को,प्यार से चाय मिलेगी हम कोदिल दुखाना नहीं चाहते,रिश्तों को हम अपनातेतभी पी लेगें हम चाय-2,सह लेगें हम हाय-2(अर्चना व राज) |
Tea has become the fashion,but at home what
happens is narrated here.Whenever we take tea,wife gets angry(For she is
conscious of its ill-effects)So whenever we take tea,BIBI(Wife)gets angry,To
take tea at home is not an easy task,a major calamity seems engulfing the
sweet sip of tea.Whenever and wherever we go,We are served with hot cup of
tea,Too much intake and that too at odd hours most of the time has led us to
the shelter of Dr.Some suggest that it controls cancer,whereas the open
option is said to be keeping safe from the onslaught of Cold.It is true that
it weakens our digestive system,People prefer tea to milk which enjoys the
increase of rate due to more demand.When we take tea,it intoxicates us and
takes us away from milk.Every time,everywhere ,only tea is served,No work
,Tea is welcome.So much tea and tea ,makes Bibi(wife)angry.Let us be
innovative here and say bye-bye to tea in order to save life or Diabetics or
Blood Pressure are ready to welcome us.My strong determination not to take
tea,But------If someone respects us and provides tea free of cost,what to do
,we are true human beings and do not want to hurt anyone even beyond boundaries,we
believe in maintaining relations,Only than a cup of tea shall go but away
from--------(Raj)
|
सर्वधर्म समभाव
(Hindi PoemD/4/0207)
बापू की सेवा
सेवा जमके
करो भईया
मेहनत करके बापू पढ़ाए ,
हम सबको
वे आगे लाए I
कष्ट
सहे
,पिताजी सारे ,
हमको
रख्खा
बना दुलारे II1II
आज जहाँ
हम बैठे हैं ,
आज जहाँ हम पहुंचे हैं I
इतनी सामर्थ उनमें थी
,
उसी ताकत से पहुंचे
हैं II2II
गिला नी मन मेँ कभी न आए
अच्छी शिक्षा उनसे पाए I
भाग्य हमारा साथ मे
चलता
बापू
के
सपनोँ को बुन
ता II3II
बने
भाग्यहीन
हम तो ना
सपने उनके तोडे ना I
त्याग, तपस्या बापू ने की
उनका खून पसीना मंजिल दी II4II
बूढ़े हो गए कमजोर हो गए ,
पिछली यादोँ में वे खो गए I
किसी का कहना हम क्यूँ माने,
दिल से उन की सेवा जानेII5II
जीवन दिशा दे दो हमको ,
सेवा भाव मिले हम सबको II6II
दोहा -----
वृद्धा आश्रम की हमको,
जिसने दी सौगात,
डुबा के डंडा तेल मे
मारो उसको लात,
मेकाले के भक्तो ने,
बिछा दी नई बिसात,
नहीँ मानेंगे , नहीँ मानेंगे ,
चाहें कैसे हो हालात ,
अब्बू, बापू, पिताजी, डैडी, पापा,
कुछ भी बोलो दिन औ रात
जमके करेंगे सेवा उन की,
यही देश की प्यारी बात II
(अर्चना
व राज)
|
The role by Father in our life is of utmost importance,he leaves no stone in giving the best of the facilities to his children ,whether education ,feeding or other things to.Whatever position we occupy in our society speaks of his contribution.His hard work reminds me all the time,Sometimes,some people ciriticise for the failure,but they forget that their work and fate as believed also go with them.Besides,the circumstances also play a great role ,as Thomas Gray in his poem sings ,when he sees the mud/clay-sepulture that these people could also become great ,but because of the adverse circumstances ,they could not reach there where wanted in life.In the name of freedom ,he is neglected.When he is old ,he draws our attention and it becomes our duty to take care of him.We may call him by any name like Abbu,Papa,Dady,Bapu,Pitaji ,but we should also repay our debt ,at the time of his dotage or old age.The concept of Old Men's Home is align to our culture and instead ,we must encourage the service to him in our home itself. (Raj) |
होली आई रे !
आई रे ! , आई रे !
(Hindi Poem/00152)
नफरत दूर हटाती,गले प्रेम से हमें मिलाती ,खुशियां सारी घर में लाती,विछुड़ो की ये याद दिलाती,मिलते सारे पेम से प्यारे,गाते, कहते, होली आई रे !आई रे ! , आई रे ! ,होली आई रे ! (1)जबान न जाने, कब-2 चलती,दिलों में कुछ के कटुता भरती,कुछ को हमसे दूर है करती,होली आती ,गले मिलाती,नाचें, कूदे, झूमें, प्यारे,गाते, कहते, होली आई रे !आई रे ! , आई रे ! ,होली आई रे ! (2)बच्चे मन के सच्चे,लेकें दौड़ें भर पिचकारी,नहीं किसी का बन्धन है,रंग बिखरे चले पिचकारी,खेलते कूदते. लगते प्यारे,गाते, कहते, होली आई रे !आई रे ! , आई रे ! ,होली आई रे ! (3)बीमार प डे भी आते बाहर,देख-2 मन को हर्षाते,गले मिलते भरते रंग,खाते गुजियां मन मुस्काते,बड़े प्रेम से मिलकर गाते,कहते, ये त्यौहार निराला रे !गाते, कहते, होली आई रे !आई रे ! , आई रे ! ,होली आई रे ! (4)कान्हा खेलें ,राधा आतीं,वृन्दावन में शमां बधातीं,गीत प्रेम के मिलकर गातीं,रंग गुलाल से गलिंयां भरती,कृपा कान्हा की हम को मिलती,दिल से गीत के रसगुल्ले छोड़े,बृज के गीत निराले रेगाते, कहते, होली आई रे !आई रे ! , आई रे ! ,होली आई रे ! (5)
(अर्चना
व राज)
|
Holi
is a Very important festival of India. It removes hatred and gives a chance to
embrace with a feeling of friendship bringing the real joy. This festival
also reminds about those left for abode. The atmosphere becomes so catchy and
enjoying that every body sings, The Holi has come, come. This is true that
throughout the year we speak out without understanding the impact on others
and it creates enmity without our knowing, some people feel at distance, But
This festival brings a chance for everyone to forget their enmity and then
everybody sings Holi has come ,come,
Children out of their innocence take their
Pichkari (toy to fill colored water and then spray over others) and spray
colored water over everyone and during this festival nobody feels unhappy
,but enjoy it ,The scene of children running, laughing,screaming, ,jumping
and spraying water is very -2 emotional, enjoying and happier. Instead of
being angry, everybody sings Holi has come, come.
Those sick cannot resist the temptation of
coming out and with rapt withal in the previous memories and feel very happy.
They also embrace with people and enjoy eating “Gujia”( a sweet dish prepared
of wheat, Mawa ;made after the milk is burnt at a particular point , and
sugar).They also spray colors and sing the Song, Holi has come ,come .
The every description shall be out of context, if we fail to know the scene at Vrindavan (Near Mathura in UP,India),where actors and actresses wear the dress of Radha and Krishna and perform in the same way, as Lord Krishna did during his lifetime. The roads and lanes are full of colors and with sonorous and sweet songs enchanting everyone, For Brij (area) Folk songs draw everyone making frenzy of. The blessings from Lord Krishna also come our way during this festival and everybody enjoys this festival singing ,Holi has come ,come. (An important significance lies here that the colors indicate about the colorful world inviting to enjoy the life amidst----- ).(Raj) |