Thursday, 29 October 2015

0000029---English Poem (J/039/0000542) Let Me fly


Let me feel,
I want to fly,
Fly away there,----------
Where everything is;
Sweet,sonorous and sound,
Here for all deal,
Good or weal,
Have nothing to see
,Have nothing to me,
All what I saw,
At sufferance here,
Is left behind
To me nothing is dear,
Nothing is my(mine),
Even if I cry,
So I want to fly,
Fly away--------
Peace and prosperity,
All that I pity,
Happiness even at best,
All left is worst or rust,
Whom to say ,
Whom to share,
Hard,yea,it is nay,
I don't dare,
Only I can cry,
So I want to fly,
fly away -------!
(Archna&Raj)

Saturday, 24 October 2015

0000028----बुरी नजर वाले,(Hindi Poem-J/022/00005250

आज का हास परिहास. 
(चलो साहित्य की गोद में)

मैं, घर से बाजार जा रहा था,…./////…. मेरे आगे ट्रक था…………. जिसपे लिखा था …..” बुरी नजर वाले तरा मुंह काला …”
मैं,सोच या …….एक बात क्यों ?.......पूरी बात नहीं बता रहा है …………चलो ……हम बता दे ----------- पूरी बात ----उत्तर आपको देना है ?

----…..”
बुरी नजर वाले,
ते रा मुंह काला …”
गाली देता हमको क्यों?,
साला ये ट्रक वाला I1I

इक पल को रुकना हुआ ,
ठाणे करें विचार,
अफ्रीका में होते हम ,
न होता ऐसा अत्याचारI2I

लोग वहां कहते,
----…..” बुरी नजर वाले, -----,
ते रा मुंह गोरा ,
पड़े जबां पे, बड़े -2 ताले ,----I3I

काला पढ़ के खुश हुये ,
सोचा स्वयं को गोरा ,
घर आये सीसे में देखा ,
लगते लुढ़का आलू का बोरा I4I

खोले फेसबुक /गूगल को हम 
चेहरे सुन्दर रोज हैं दिखते,
भारत में न कोई काला ,
वरना ट्रकवाले क्यों लिखते ? ,hhhhhhhhaahhheeeeI5I
( अर्चना & राज)

Sunday, 18 October 2015

0000027--देख सखी , तेरा साजन आता,(HindiPoem-I/047/0000499)

देख सखी , तेरा साजन आता,(HindiPoem-I/047/0000499)

आज का हास परिहास.
(चलो साहित्य की गोद में)

श्रृंगार रस का गीत 

मैंघर से बाजार जा रहा था,…./////…

मेरे आगे ट्रक था…………. 

जिसपे लिखा था ….

.”देख सखी तेरे साजन आता …”
मैं,सोच या ……-------

.एक बात क्यों ?.......पूरी बात नहीं बता रहा है ………

चलो ……हम बता दे ----------- पूरी बात
“ रुक …… रुक

.देख सखी ,

तेरा साजन आता,
देख तुझे,
वो मुस्काता ,
हौले-2,
कदम बढ़ाता,
वो तो तुझ से,
मिलने आता,
नजर उठाता,
नजर गिराता,
मन का भाव,
यही कहता,
आता तुझसे,
प्यार जताता
.देख सखी ,
तेरा साजन आता--------(1)

तेरा साजन,

बिल्कुल न्यारा,

लगता हीरो ,
जैसा प्यारा,
भाग्य तेरे जो,
तुझे मिला ,
तन मन तेरा ,
इससे खिला ,
सच्चा प्यार ,
यही बताता ,
नाता कभी ना,
तोड़ा जाता, 
देख सखी ,
तेरा साजन आता------(2)

करूं प्रार्थना,

दिल से मैं, 

दुःख में तेरे, 
साथ चलूं मैं,
तुझे मिले,
प्यार का सेहरा,
मुस्कान नाचती,
झूमता चेहरा,
सारे दुख मैं ,
सह लूंगी,
तुझे दुआएं!,
दे दूंगीं ,
खुल के सबसे,
कह दूंगीं ,
वादा मेरा,
(तेराप्यार बढ़ाता,
देख सखी ,
तेरा साजन आता------(3)

जो भी मुझे,

मुकाम मिला,

तन मन मेरा,
इससे खिला ,
मेरी खुशी के,
पीछे तू है,
मेरी खुशी का ,
राज भी तू है,
मेरा जीवन,
तेरा - आना ,
मिला खुशीका ,
नहीं ठिकाना ,
आगे इसके ,
क्या बतलाऊं? ,
बन के तेरी ,
सखी निभाऊं,
नेक इरादा ,
तुझसे वादा,
रिश्ता मेरा,
यही निभाता

देख सखी ,
तेरा साजन आता--
तेरा साजन आता------(4)-----

अर्चना  राज

Thursday, 15 October 2015

0000026---सपने अपने ऊँचे रखना, (Hindi Poem-H/015/00417)

महान आत्मा के जन्मदिन पर नमन 

A Lesson I Learnt .
सपने अपने ऊँचे रखना,

(Hindi Poem-H/015/00417)

सपने अपने ऊँचे रखना, 
इसी सोच से आगे बढ़ना, 
बिखरे कांटें फूल बनेगें,
मुकाम कहेगा तुमसे मिलना II1II
सपने अपने ऊँचे रखना,

जीवन में जो सोचा है,
नजर हाथ में आयेगा, 
बिछुड़ा यार भी ढूंढ-2 के,
तेरे पास ही आयेगा ,
बात कहेगा दिल से,
बार-2 चाहेगा मिलना II2II 
सपने अपने ऊँचे रखना,

शूल बने थे वही रास्ते, 
बढ़ के देगें वे सम्मान, 
हाथ जोड़ माफी मांगे” 
"क्षमा करो मेरा अपमान”,
खुशबु वरण करेगी तेरा,
शुरू होगा फूलों का खिलना II3II
सपने अपने ऊँचे रखना,

बड़ी सोच से दुनिया चलती,
आगे बढ़ना राह पकड़ती,
इज्जत भी तो साथ में मिलती,
यही जिन्दगी मुस्काती ,
बुरा किसी का कर नहीं सकते,
मद्द बढ़ाये सब का मान,
ड़्सी बात की गांठ बांधनाII4II
सपने अपने ऊँचे रखना,


जिसको देना हो सम्मान ,
कभी करे ना कोई नुकसान,
दुःख दर्द दूर हटाता जाता ,
मदद करे बढ़ाता शान,
दुनिया कितनी प्यारी है!, 
उस दिन होगा इसका भान,
समझ बढ़ेगी इससे सबकी ,
काम बनेगें सब आसान,
 प्रेम से होगा सबका मिलना, II5II 
सपने अपने ऊँचे रखना,

देश सदा ऋणी रहेगा (अर्चना & राज)

Wednesday, 14 October 2015

0000025----दम्भ नहीं जलता,(Hindi Poem)


दम्भ नहीं जलता,
         
मेरा टूटा मन,
 ज्यों टूटे दर्पन,
 दुनिया फानी है ,
सिर्फ कहानी है,
 दरिया का उठता,
 गिरता पानी है,
 झूठ के दरवाजे ,
सहमा है बचपन,
किस-किस को समझें,
किसको हम जाने,
 मतलब के रिश्ते !,
कैसे पहचाने,
 जलता हुआ तवा ,
रिश्ते छन-छन,
 रोज दशहरा है,
 रोज दीवाली है,
 अपहृत मर्यादा,
 कुटिया खाली है,
 दम्भ नहीं जलता,
 जलता है रावन
( Contributed by हमारे मित्र कवि जय प्रकाश नायक)

Tuesday, 13 October 2015

0000024-अम्बे कहो चाहे जगदम्बे ( Hindi Poem-D/001/0000161)

Happy Navaratrai to All with best Wishes !
अम्बे कहो चाहे जगदम्बे
(Hindi Poem-D/001/0000161)

अम्बे कहो चाहे जगदम्बे ,
प्रेम से बोलो मात भवानी ,
मात कृपा पाने को मैं तो ,
दर दर दौड़ी बन दीवानी ! I1I

दुनिया में देखा सबको ,
सबको मैने परख लिया,
सुख में शान्ति, मिलती है,
दुःख में रहना सीख लिया ,
शरण पड़ी मैं तेरी माँ,
कंरू समर्पित अपनी जुबानी I2I

मैं तुझको क्या बोलूं माँ,
सही गलत क्या ?तू जाने,
जो कुछ जीवन में गुजरा,
बस मैं जानूं या तू जाने ,
मैं तो न्याय को तरसूं ,माता !
तेरे प्यार की मैं दीवानी I3I

दुनिया में देखा मैनें ,
दुःख के!मारे सारे फ़िरते ,
आह! निकलती नहीं जुबां पे ,
तुझसे अपना दुखड़ा कहते,
आस दिलाते स्वयं को सब,
कहते तुझसे अपनी कहानी I4I

राह तुझे दिखानी होगी.,
कृपा तुझे बरसानी होगी ,
विपदा दूर हटानी होगी, 
मुझको सबला बना दे माता ,
फिर से नई लड़ाई लड़नी I5I

जाना मैनें बचपन में ,
जब भी अत्याचार. बढ़े ,
राह दिखाई माँ ने उनको ,
साहस साथ सभी लड़े,
मैदान छोड़ दुश्मन भागे ,
तर से बूंद-2 पानी I6I

मात् कृपा ऐसी बरसा दो,
ममता बन्द.करो ना आनी ,
अबला खड़ी तेरे सामने ,
करती हरदम नादानी ,
बन गईं आज तो मेरे,
जीवन की इक नई कहानी I7I

(अर्चना & राज)

Wednesday, 7 October 2015

000023---यह जग सराय मुसाफिरखाना (Hindi Poem)

हमारे सहयोगी बल्देव शास्त्रीजी द्वारा लिखित उनकी कविता जो यथार्थ से हमें जोड़ते हुए आंखे खोलती है
हम फालतू में लड़ते झगड़ते हैं---------------?

यह जग सराय मुसाफिरखाना 
इसमें लुभाने की कोशिश ना करना 
आये अगर रै ऩ बिता लो,
कब्जा जमाने की कोशिश न करना
हमसे पहले यहां लाखों आये,
खाये, कमाये, सिधाये ,
वे भी रहे, ना गये साथ लेकर,
तुम भी ले जाने की कोशिश न करना,
यह दुनिया है अमानत प्रुभु की ,
नहीं है किसी की ,न पहले किसी की ,
तू अपनी बनाने की कोशिश न करना, 
ग़र राजा हो रानी बड़ा सेठ दानी 
सेवक मुल्लापंडित या ज्ञानी 
जो आया उसको जाना. पड़ेगा.
ममता बढ़ाने की कोशिश न करना,

चौरासी के चक्कर में गोते लगाकर,
मुश्किल से नर्तन (आदमी) का चोला मिला ! ना,
बड़े भाग से मौका मिला है,
मौका गवाँ ने की कोशिश न करना ,
यह आकाश धरती अगिग्न जल हवा है,
शास्त्रीजी कहें जिसने पैदा किया है,
उस को भुलानेकी कोशिश ना करना

( बल्देव शास्त्रीजी)

000022---श्रद्धान्जलि(Hindi Poem)



श्रीजे०बी० सिंह मामाजी को श्रद्धान्जलि
जाने वाले जाते हैं ,
दिल में याद बसाते हैं,
बातें मन समझाने की ,
याद बहुत वे आते है I

पल-पल गुजरा जिनके साथ,
सर पे रक्खा जिसने हाथ,
कभी ना दुःख की कोई बात ,
छोड़ हमें क्यों जाते हैं ?
याद बहुत वे आते है I

उनका जाना हमें छोड़ना ,
पलक झपकते साथ छोड़ना,
दिल के सारे तार तोड़ना,
समझ के बाहर सारी बाते ,
सोच -2 घबराते हैं
याद बहुत वे आते है I

किससे कहना ,किसे बताना ,
कहाँ है जाना, पता लगाना ,
बातें सारी दिल में समा ना ,
दिल भी रोता, मन भरता है ,
हाथ खाली रह जाते हैं
याद बहुत वे आते है I

जीवन में बातें तेरी,
पग-2 चलती साथ में मेरी ,
पीछे रोती आंखे मेरी,
क्यों ऐसा होता है ? 
अवाक ! अकेले पाते हैं
याद बहुत वे आते है I

नहीं पता है तेरा जहाँ,
गुम सुम सारे मित्र यहां ,
घर के सारे दुःखी वहाँ ,
करें प्रार्थना कृष्णा तुम से,
बस ! ढ़ाढ़स तुम्ही बंधाते हो !
( अर्चना व राज की तरफ से श्रद्धान्जलि)