Wednesday, 19 August 2015

000021----मेरा मन मछुआरे जैसा (Hindi Poem)

हमारेमित्र कविराज जयप्रकाश द्वारा
मेरा मन मछुआरे जैसा
स्मृतियाँ
रंगीन मछलियाँ
मेरा मन
मछुआरे जैसा
परी कथाएँ
चन्दामामा
सबकुछ, बिसर गये
पश्चिम वाली
चकाचौंध
सपने बिखर गये
विस्मृतियां
धूमिल आकृतियाँ
मेरा मन
अधियारें जैसा
चले जहाँ से
वहीं आ गये
केवल युग बदले
अंधे मोड़ों के
परिपथ पर
बार-बार. फिसले
विकृतियाँ
पाशविक हरकतें
मेरा मन
अंगारे जैसा
बड़ी सलीबों
टंगी जिन्दगी
बिछड़ गई. सदियां
मिनरल वाटर
स्पर्धा में
पिछड़ गई. नदियाँ
सस्कृतियाँ
बरगद की छाया
मेरा मन
बंजारे जैसा
(कविराज जयप्रकाश)

Monday, 17 August 2015

020------अब तो है जीवन ज्योति जलानी, फिर से,लिखनी है नई कहानी ,

स्वतंत्रता दिवस पर आजादी दिलाने वाले क्रांतिकारी वीर शहीदों को सादर नमन ।
(Hindi Poem G-038/0000388)
अब तो है जीवन ज्योति जलानी, फिर से,लिखनी है नई कहानी ,
बुरे दौर से देश है गुजरा , सदा रहा जजीर् में जकरा (णा )
सबने अत्याचार सहे , उफ़ ! भी मन से नहीं कहे
इतिहास बयां करता है, हंसते- हंसते सौपी जवानी .
अब तो है जीवन ज्योति जलानी,फिर से,लिखनी है नई कहानी ,I1I
देख के हंसता अपना इतिहास , स्वयं ही रोका अपना विकास
आपस में हम लड़ते रहे , कमजोर देश को करते रहे
गौर से देखो ! क्या मिला ,राह में डाली बड़ी- बड़ी शिला,
दिल में सबके प्यार भरें ,मिल के अब तो चकनाचूर करें ,
कष्ट सहे हमराह में भटके ,, कभी ना अपनी गलती मानी,
अब तो है जीवन ज्योति जलानी,फिर से,लिखनी है नई कहानी ,I2I

छोड़ो बेकार की बातों को , क्यों बर्बाद करें दिन और रातों को,
इसकी गलती ,उसकी गलती , गुलाम देश में किसकी चलती,
अलख जगानी फिर से है , ज्योति जलानीफिर से है,
बच्चे बूढ़े और जवान , मिल के बनायें देश महान,
गांधी ,कलाम ,बाबा ,राणा का हाथ, अम्बेडकर पटेल ,मनोज ,हमीद का साथ,
सीख सदा मिलती उनसे , जिसने देश को दी कुर्बानी,
अब तो है जीवन ज्योति जलानी,फिर से,लिखनी है नई कहानी ,I3I

दिशा दिया है देश ने सबको , शांति ,प्रेम का पैगाम है सबको,
दुश्मन माने इसे कमजोरी , आंख दिखाता करता सीनाजोरी,
उठो करो आवाज बुलन्द , जोर से बोलो जयहिन्द,
बढ़ के आगे आयें सब , लिख दें फिर से ,आओ, नई कहानी,
अब तो है जीवन ज्योति जलानी,फिर से,लिखनी है नई कहानी I4I

आने वाली पीढ़ी हम पर , गर्व करे वो हम सब पर,
दिशा बदल दी देश की हमने , खुशियां ला दी सब के दिल में,
मक्कारों की चाल को जानें , गद्दारों को लगा ठिकाने,
स्वर्ग से सुन्दर देश हो अपना , पूर्ण करें हम जो देखे सपना,
मिल के बहा दें खून' पसीना , नई इबादत मिल के करनी,
अब तो है जीवन ज्योति जलानी,फिर से,लिखनी है नई कहानी I5I

जन्म लिया है देश है अपना, खाना पीना प्रेम से अपना,
बीते जवानी ,बीते बचपन , कटे बुढ़ापा जैसे लड़कपन,
विज्ञान गणित को बढ़ने दो. मिल के सोच बदलने दो,
बात प्रेम से कहने दो, विकास सभी का होने दो ,
पहली जन्नत देश हो अपना, यही बात है मुझको कहनी
अब तो है जीवन ज्योति जलानी,फिर से,लिखनी है नई कहानी I6I

(अर्चना व राज)