सृज (मेरी कविता ) SRAJ (A Collection of My Poems)
The Poems Published here are only for the Entertainment purpose / as a piece of advice ,Romanticism,Realism,Heroic and Spiritualism composed by self on different subjects without aiming at hurting the sense and sensibility of anyone.The WORK IS ORIGINAL ,if anything in the poems resembles to/with others,it will be simply coincidence or human err -----Poetic expression is what Wordsworth writes ,spontaneous overflow of feelings .Hence,an attempt to entertain and spread the viewpoint
Friday, 15 June 2018
सृज (मेरी कविता ) SRAJ (A Collection of My Poems): 62----दिली मुबारक
सृज (मेरी कविता ) SRAJ (A Collection of My Poems): 62----दिली मुबारक: दिली मुबारक (HindiPoem-gha/88/1888) दिली मुबारक हम भी देते ईद के शुभ अवसर पर खुशियां झूमते नाचते आएं इस पावन त्य...
62----दिली मुबारक
दिली मुबारक
(HindiPoem-gha/88/1888)
दिली मुबारक हम भी देते
ईद के शुभ अवसर पर
खुशियां झूमते नाचते आएं
इस पावन त्योहार पर -----1
मेल मिलाप का संगम है
दिल से कटुता दूर करें
आओ! सभी गले मिले
प्रेम सौहार्द्र ये दिल में भरे -----2
जो भी बुराई हमको लगती
प्रेम से उसको दूर करें
जब जहां हमारा घर है सारा
आओ !
शिकवे शिकायत (घर से )अपने दूर करें ----3
प्रेम बढ़ाता ,दिल से मिलाता
ऐसा यह त्यौहार निराला
खून हमारा एक है
प्रेम का रंग है हमने डाला-------4
नया दौर है नया खून है
नए-नए अपने सपने हैं
देश बने सिरमौर विश्व का
ये कहते सारे अपने हैं ------5
तेरी मेरी छोड़ो सारे
ईद मना ये सारे जहां
प्रेम बरसता हर घर हो
लेते हैं संकल्प यहां (भारत में)
ईद के शुभ अवसर पर सभी दोस्तों मित्रों
छात्रों एवं साथियों को शुभकामनाएं
अर्चना राज की तरफ से
Friday, 2 March 2018
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सृज (मेरी कविता ) SRAJ (A Collection of My Poems): 052--Best Wishes to All-Happy Holiहोली आई रे ! आई ...
सृज (मेरी कविता ) SRAJ (A Collection of My Poems): 052--Best Wishes to All-Happy Holiहोली आई रे ! आई ...: होली आई रे ! आई रे ! , आई रे ! (Hindi Poem/00152) नफरत दूर हटाती , गले प्रेम से हमें मिलाती , खुशियां सारी ...
Friday, 9 February 2018
सृज (मेरी कविता ) SRAJ (A Collection of My Poems): 58---जो जीवन से हार मानता
सृज (मेरी कविता ) SRAJ (A Collection of My Poems): 58---जो जीवन से हार मानता: आज डायट के बच्चे उदास थे उनको समर्पित एक कविता Az-5/2106 जो जीवन से हार मानता वे कैसे बढ़ पाएंगे बड़ी - ब...
58---जो जीवन से हार मानता
आज डायट के बच्चे उदास थे उनको समर्पित एक कविता
Az-5/2106
जो
जीवन से हार मानता
वे
कैसे बढ़ पाएंगे
बड़ी-बड़ी चट्टाने मिलती
कैसे वे चढ़ पाएंगे
जो सोता वो खोता है
जीवन भर फिर रोता है
हंसी खुशी से बढ़ते जाओ
काम भी अपना करते जाओ
कदम चूमेगी मंजिल तेरी
दुनिया को दिखलाएंगे
जो जीवन से हार मानता
वे कैसे बढ़ पाएंगे
बड़ी-बड़ी चट्टाने मिलती
कैसे वे चढ़ पाएंगे
सब ने हमें सिखाया है
अपनों ने भी बताया है
दुनिया सोती वे जगते हैं
काम भी अपना वे करते हैं
हुआ सवेरा जग बदले
किस्मत सबकी वे बदले
जहां भी कहता उनको महान
रीति नई जो दिखिलाएंगे
जो जीवन से हार मानता
वे कैसे बढ़ पाएंगे
बड़ी-बड़ी चट्टाने मिलती
कैसे वे चढ़ पाएंगे
जिनके दिल साफ ना होते
सभी समझते ना कुछ कहते
सावधान सब हो जाते हैं
छोड़ पीछे बढ़ जाते हैं
अपना जीवन कुछ करना है
हमको आगे बढ़ना है
अपनी ताकत के दम पे
तस्वीर को हम बदलेंगे
जो जीवन से हार मानता
वे कैसे बढ़ पाएंगे
बड़ी-बड़ी चट्टाने मिलती
कैसे वे चढ़ पाएंगे
पीछे कभी नहीं हटेंगे
पीछे कभी नहीं हटेंगे
तकदीर नई लिख देंगे
वादा अपनों से करेंगे
आंसू कभी ना आने देंगे
हम भी ड्यूटी खूब करेगें
देश को अच्छा बनाएंगे
दुनिया को बताएंगे
कभी न पीछे जाएंगे
जो जीवन से हार मानता
वे कैसे बढ़ पाएंगे
बड़ी-बड़ी चट्टाने मिलती
कैसे वे चढ़ पाएंगे
(अर्चना राज)
Wednesday, 17 August 2016
सृज (मेरी कविता ) SRAJ (A Collection of My Poems): 57---भाई बहनका पावन पर्व है (Hindi Poem-kha /32/1...
सृज (मेरी कविता ) SRAJ (A Collection of My Poems): 57---भाई बहनका पावन पर्व है (Hindi Poem-kha /32/1...: सभी को रक्षाबंधन दिवस की शुभकामनायें भाई बहनका पावन पर्व है (Hindi Poem-kha /32/1543) सुबह स...
57---भाई बहनका पावन पर्व है (Hindi Poem-kha /32/1543)
सभी को रक्षाबंधन दिवस की शुभकामनायें
भाई बहनका पावन पर्व है
(Hindi Poem-kha /32/1543)
सुबह सबेरे हंसते -2,
बहना घर पे आई,
हमें देख इतराई इतना,
खुशियां घर मे-छाई,--------1--बहना घर पे आई,
छोड़ के अपना कामधाम ,
जेब देख ली पहले ,
समय साथ ना देता अपना,
दिल भी अपना दहले,
देख नजारा बहना बोली ,
भैय्या ,सावधान !
नहीं चलेगी अब चतुराई------2--बहना घर पे आई,
हंसंते -2 हम बोले,
अरे !लेके बच्चा पर्स को भागा,
जान भी तुझपे न्यौछावरहै,
अनमोल है तेरा ये धागा,
छोटी मोटी बाते पे ,
आे मोटी !क्यों तुमसे करू लड़ाई -3-बहना घर पे आई,
तेरा मीठा मुझको खाना ,
अरे !चुपके-2 जल्दी से दे ना ,
बीवी वरना अा जायेगी ,
शुरू करेगी ;क्लास कों लेना ,
अभी व्यस्त है बातों में ,
होगी वरना मेरी जग हंसाई -3-बहना घर पे आई,
देश हमारा त्यौहारों का,
अनमोल है इसका नजारा,
भाई बहनका पावन पर्व है ,
रहे मुबारक ये सबको प्यारा,
खुशिया दे के ,आंसू रोके,
बहन की करू विदाई-4- बहना घर पे आई,
सभी को रक्षाबंधन दिवस की शुभकामनायें
From Archna and Raj”
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