दिली मुबारक
(HindiPoem-gha/88/1888)
दिली मुबारक हम भी देते
ईद के शुभ अवसर पर
खुशियां झूमते नाचते आएं
इस पावन त्योहार पर -----1
मेल मिलाप का संगम है
दिल से कटुता दूर करें
आओ! सभी गले मिले
प्रेम सौहार्द्र ये दिल में भरे -----2
जो भी बुराई हमको लगती
प्रेम से उसको दूर करें
जब जहां हमारा घर है सारा
आओ !
शिकवे शिकायत (घर से )अपने दूर करें ----3
प्रेम बढ़ाता ,दिल से मिलाता
ऐसा यह त्यौहार निराला
खून हमारा एक है
प्रेम का रंग है हमने डाला-------4
नया दौर है नया खून है
नए-नए अपने सपने हैं
देश बने सिरमौर विश्व का
ये कहते सारे अपने हैं ------5
तेरी मेरी छोड़ो सारे
ईद मना ये सारे जहां
प्रेम बरसता हर घर हो
लेते हैं संकल्प यहां (भारत में)
ईद के शुभ अवसर पर सभी दोस्तों मित्रों
छात्रों एवं साथियों को शुभकामनाएं
अर्चना राज की तरफ से
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