Friday, 15 April 2016

053-------राम खुले में रहता है ! (Hindi Poem-W/32/1244)


हिन्दू मुस्लिम के बीच लड़ाई ,

लेके तुम, आये. ,
बात करो तुम मन्दिर की, 
बात समझ ना आये ,
हिन्दू मर ता देखते सब, 
दो शब्द नहीं निकलते , 
खाेद के खाई बीच में तुमने ;
बात राम की करते,
देश के दुश्मन ने, 
घर तेरे ललकारा ,
एक छोटी बात पे उसने ,
डा० नांरग को जान से मारा,
नेता तुम्हारा देखा हंसा ;,
हिन्दू ही तो मरा हैं,
मुंह पे लगा दिया ताला. 
अरे मुद्दा, नहीं बड़ा है,
प्रेम से मन्दिर भी ,
लोग यहाँ बनवाते ,
खाई लोगों के बीच ,
यदि तुम नहीं बढ़ाते ,
कोर्ट का निर्णय !
मुस्लिम भाई कहते, 
आयेगा हम मानेगें.,
परं कान तुम्हारे पकते, 
शब्द राम का मुँह;; से लेना, 
शोभा नहीं देता है 
ओछी तेरी राजनीति, 
राम खुले में रहता है !
अर्चना व राज

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