अपना देश बड़ा निराला,
हर दिन हर त्यौहार, I
अम्मा बापू साथ में रहवे,
प्यार में होते सब बीमार II
जब तक चप्पल पड़े चांद पे,
घर में भागे-2 फिरते I
पीछे अम्मा दौड़ लगा ती,
दांत दिखाते बापू हंसते II
घरवाली की चरण- पादुका,
पड़ते पावन घर होता I
अम्मा अपना अनुभव देती,
बढ़ता बीबी का पारा होता II
फुटबाल जैसे हम बनते,
बीबी आती चुप हो जाते I
मर्यादित दखलंदाजी उसकी,
अम्मा से हम आंख बचाते, II
देखी अम्मा रुठी बैठी,
चरन पकड़ उनको मनाते I
दिल है उनका बड्डा-2,
शान्ति से सब काम बनाते II
दिन निकला और चिडिया बोली,
सुबह सबेरे चेहरे खिलते I
गट-2 मठ्ठा पीते जाते,
हंसते-2 बाते करते II
भाभी भईया भोलू भतीजे,
अम्मा बापू सबकुछ मिलता I
यही प्यार था अपने घर का,
चुटकी में जीवन कट जाता II
नई परम्परा लेके आये,
इक दिन केवल पायी अम्मा I
दो बंद गिरा के आंसू के,
बीवी करती चुम्मा-2 II
संस्कृति जीवित, भारत जीवित,
नये पंगो से न घर भरे I
हर दिन अपने घर में ,
डोर रिश्तों की मजबूत करे II
हर दिन हर त्यौहार, I
अम्मा बापू साथ में रहवे,
प्यार में होते सब बीमार II
जब तक चप्पल पड़े चांद पे,
घर में भागे-2 फिरते I
पीछे अम्मा दौड़ लगा ती,
दांत दिखाते बापू हंसते II
घरवाली की चरण- पादुका,
पड़ते पावन घर होता I
अम्मा अपना अनुभव देती,
बढ़ता बीबी का पारा होता II
फुटबाल जैसे हम बनते,
बीबी आती चुप हो जाते I
मर्यादित दखलंदाजी उसकी,
अम्मा से हम आंख बचाते, II
देखी अम्मा रुठी बैठी,
चरन पकड़ उनको मनाते I
दिल है उनका बड्डा-2,
शान्ति से सब काम बनाते II
दिन निकला और चिडिया बोली,
सुबह सबेरे चेहरे खिलते I
गट-2 मठ्ठा पीते जाते,
हंसते-2 बाते करते II
भाभी भईया भोलू भतीजे,
अम्मा बापू सबकुछ मिलता I
यही प्यार था अपने घर का,
चुटकी में जीवन कट जाता II
नई परम्परा लेके आये,
इक दिन केवल पायी अम्मा I
दो बंद गिरा के आंसू के,
बीवी करती चुम्मा-2 II
संस्कृति जीवित, भारत जीवित,
नये पंगो से न घर भरे I
हर दिन अपने घर में ,
डोर रिश्तों की मजबूत करे II
(अर्चना राज )