सर्वधर्म समभाव
(Hindi PoemD/4/0207)
बापू की सेवा
सेवा जमके करो भईया
(Hindi PoemD/4/0207)
बापू की सेवा
सेवा जमके करो भईया
मेहनत करके बापू पढ़ाए ,
हम सबको वे आगे लाए I
कष्ट सहे ,पिताजी सारे ,
हमको रख्खा बना दुलारे II1II
आज जहाँ हम बैठे हैं ,
आज जहाँ हम पहुंचे हैं I
इतनी सामर्थ उनमें थी ,
उसी ताकत से पहुंचे हैं II2II
गिला नी मन मेँ कभी न आए
अच्छी शिक्षा उनसे पाए I
भाग्य हमारा साथ मे चलता
बापू के सपनोँ को बुन ता II3II
बने भाग्यहीन हम तो ना
सपने उनके तोडे ना I
त्याग, तपस्या बापू ने की
उनका खून पसीना मंजिल दी II4II
बूढ़े हो गए कमजोर हो गए ,
पिछली यादोँ में वे खो गए I
किसी का कहना हम क्यूँ माने,
दिल से उन की सेवा जानेII5II
जीवन दिशा दे दो हमको ,
सेवा भाव मिले हम सबको II6II
दोहा -----
वृद्धा आश्रम की हमको,
जिसने दी सौगात,
डुबा के डंडा तेल मे
मारो उसको लात,
मेकाले के भक्तो ने,
बिछा दी नई बिसात,
नहीँ मानेंगे , नहीँ मानेंगे ,
चाहें कैसे हो हालात ,
अब्बू, बापू, पिताजी, डैडी, पापा,
कुछ भी बोलो दिन औ रात
जमके करेंगे सेवा उन की,
यही देश की प्यारी बात II
(अर्चना व राज)
The role by Father in our life is of utmost importance,he leaves no stone in giving the best of the facilities to his children ,whether education ,feeding or other things to.Whatever position we occupy in our society speaks of his contribution.His hard work reminds me all the time,Sometimes,some people ciriticise for the failure,but they forget that their work and fate as believed also go with them.Besides,the circumstances also play a great role ,as Thomas Gray in his poem sings ,when he sees the mud/clay-sepulture that these people could also become great ,but because of the adverse circumstances ,they could not reach there where wanted in life.In the name of freedom ,he is neglected.When he is old ,he draws our attention and it becomes our duty to take care of him.We may call him by any name like Abbu,Papa,Dady,Bapu,Pitaji ,but we should also repay our debt ,at the time of his dotage or old age.The concept of Old Men's Home is align to our culture and instead ,we must encourage the service to him in our home itself. (Raj)
हम सबको वे आगे लाए I
कष्ट सहे ,पिताजी सारे ,
हमको रख्खा बना दुलारे II1II
आज जहाँ हम बैठे हैं ,
आज जहाँ हम पहुंचे हैं I
इतनी सामर्थ उनमें थी ,
उसी ताकत से पहुंचे हैं II2II
गिला नी मन मेँ कभी न आए
अच्छी शिक्षा उनसे पाए I
भाग्य हमारा साथ मे चलता
बापू के सपनोँ को बुन ता II3II
बने भाग्यहीन हम तो ना
सपने उनके तोडे ना I
त्याग, तपस्या बापू ने की
उनका खून पसीना मंजिल दी II4II
बूढ़े हो गए कमजोर हो गए ,
पिछली यादोँ में वे खो गए I
किसी का कहना हम क्यूँ माने,
दिल से उन की सेवा जानेII5II
जीवन दिशा दे दो हमको ,
सेवा भाव मिले हम सबको II6II
दोहा -----
वृद्धा आश्रम की हमको,
जिसने दी सौगात,
डुबा के डंडा तेल मे
मारो उसको लात,
मेकाले के भक्तो ने,
बिछा दी नई बिसात,
नहीँ मानेंगे , नहीँ मानेंगे ,
चाहें कैसे हो हालात ,
अब्बू, बापू, पिताजी, डैडी, पापा,
कुछ भी बोलो दिन औ रात
जमके करेंगे सेवा उन की,
यही देश की प्यारी बात II
(अर्चना व राज)
The role by Father in our life is of utmost importance,he leaves no stone in giving the best of the facilities to his children ,whether education ,feeding or other things to.Whatever position we occupy in our society speaks of his contribution.His hard work reminds me all the time,Sometimes,some people ciriticise for the failure,but they forget that their work and fate as believed also go with them.Besides,the circumstances also play a great role ,as Thomas Gray in his poem sings ,when he sees the mud/clay-sepulture that these people could also become great ,but because of the adverse circumstances ,they could not reach there where wanted in life.In the name of freedom ,he is neglected.When he is old ,he draws our attention and it becomes our duty to take care of him.We may call him by any name like Abbu,Papa,Dady,Bapu,Pitaji ,but we should also repay our debt ,at the time of his dotage or old age.The concept of Old Men's Home is align to our culture and instead ,we must encourage the service to him in our home itself. (Raj)
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